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कविता

संस्कृति

ए. अरविंदाक्षन


जल की संस्कृति को
यदि पहचानना है
नदी के बीच की
कठोर शिला पर बैठ जाओ
स्थिर
ध्यान मग्न।
पहले तुम
शिलावत् हो जाओगे
फिर धीरे-धीरे
जल तुम में समा जाएगा
तब तुम पहचानोगे
जल और शिला के बीच
संस्कृति है

 


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