जल की संस्कृति को यदि पहचानना है नदी के बीच की कठोर शिला पर बैठ जाओ स्थिर ध्यान मग्न। पहले तुम शिलावत् हो जाओगे फिर धीरे-धीरे जल तुम में समा जाएगा तब तुम पहचानोगे जल और शिला के बीच संस्कृति है
हिंदी समय में ए. अरविंदाक्षन की रचनाएँ